बात नहीं करने की शायरी
बात नहीं करने की शायरी - मेरा नाम मयंक हे और में आपके लिए लेकर आया हु बात नहीं करने की शायरी। हमें बात नहीं करने की शायरी की जरूर हे अगर आपका दोस्त आपसे रूत जाता हे। और आपको अपने दोस्त को मनवाना हे तो यह मेने लिखी हुयी शायरी काम लगेगी। अपने दोस्त को मानवानेमे। आपको एक ही काम करना हे। आपको यहाँ से कोई भी शायरी कॉपी करनी हे और आपको अपने व्हाट्सप्प पे अथवा फेसबुक पर भेज देना हे।
ऐसी ही आपके लिए हम शायरी लेकर एते रहेंगे। अजगर आपको लगता हे की यह अच्छी सायरी हे तो आप लिंक को कॉपी करके अपने व्हाट्सप्प ग्रुप्स में अपनों के साथ शेयर कर सकते हो। धन्यवाद !
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बात नहीं करने की शायरी |
आप बात क्यों नहीं करते शायरी
सारा जहाँ चुपचाप है, आहटें ना साज़ है,
क्यों हवा ठहरी हुई है, आप क्या नाराज़ है !!
क्यों हवा ठहरी हुई है, आप क्या नाराज़ है !!
किसी से #नाराजगी, इतने #वक़्त तक न रखो के,
वो तुम्हारे #बगैर ही, जीना सीख जाए !!
वो तुम्हारे #बगैर ही, जीना सीख जाए !!
सोचता हूँ #जिंदा हूँ, मांग लूं सबसे #माफ़ी,
ना जाने #मरने के बाद कोई माफ़ करे या ना करे !!
ना जाने #मरने के बाद कोई माफ़ करे या ना करे !!
कोई #रूठा है हमसे के हम कुछ #कहते नहीं,
कैसे #मनाए जब वो हमे #मिलते नहीं !!
कैसे #मनाए जब वो हमे #मिलते नहीं !!
कर दो माफ़ अगर
भूल हुई हमसे,
ऐसी बात न करके
हमें सजा न दीजिये
भूल हुई हमसे,
ऐसी बात न करके
हमें सजा न दीजिये
नाराज़ क्यों हो होते किस बात पे हो हमसे रूठे,
अच्छा लो मान लिया तुम सच्चे और हम झूठे,
अब मान भी जाओ कब से तुम हो हमसे रूठे,
माना ग़ुस्सा हो पर इतना ग़ुस्सा भी नहीं होते।
अच्छा लो मान लिया तुम सच्चे और हम झूठे,
अब मान भी जाओ कब से तुम हो हमसे रूठे,
माना ग़ुस्सा हो पर इतना ग़ुस्सा भी नहीं होते।
बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से
हो सके तो लौट के आजा किसी बहाने से
तू लाख खफा हो पर एक बार तो देख ले
कोई बिखर गया है तेरे रूठ जाने से
हो सके तो लौट के आजा किसी बहाने से
तू लाख खफा हो पर एक बार तो देख ले
कोई बिखर गया है तेरे रूठ जाने से
अगर मै हद से गुज़र जाऊ तो मुझे माफ़ करना
तेरे दिल में उत्तर जाऊ तो मुझे माफ़ करना
रात में तुझे देख के तेरे दीदार के खातिर
पल भर जो ठहर जाऊ तो मुझे माफ़ करना,
तेरे दिल में उत्तर जाऊ तो मुझे माफ़ करना
रात में तुझे देख के तेरे दीदार के खातिर
पल भर जो ठहर जाऊ तो मुझे माफ़ करना,
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयी
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयी
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